जब तक भी हो प्रवाह नव मुक्तक मिल गया। जब तक भी हो प्रवाह नव मुक्तक मिल गया।
नव तकनीक का आधार यह बनती मानवता इतराती है। नव तकनीक का आधार यह बनती मानवता इतराती है।
कुछ तिनके उस बगिया से, जहां पुष्पों में कोई भेद नहीं। कुछ तिनके उस बगिया से, जहां पुष्पों में कोई भेद नहीं।
मैं वो किताब हूँ... जिसमें लिखा जीवन का सम्पूर्ण आधार हूँ !! मैं वो किताब हूँ... जिसमें लिखा जीवन का सम्पूर्ण आधार हूँ !!
मास आता श्रावण का घनघोर घटा उमड़ती है मास आता श्रावण का घनघोर घटा उमड़ती है
तू है यदि अडिग सजग कर न देर, धर डग पर डग कल्पना की उड़ान से निकल पाँव हकीकत की धरा पे धर तज अतीत... तू है यदि अडिग सजग कर न देर, धर डग पर डग कल्पना की उड़ान से निकल पाँव हकीकत क...